चंद्रकांता संतति : खंड 1 – 10 : chandrakanta santati : parts 1-10 : chandrakanta santati book : chandrakanta santati book in hindi : chandrakanta santati … santati all parts (Hindi Edition)
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देवकीनन्दन खत्रीजी का जन्म 29 जून, 1861 में पूसा, मुजफ्फरपुर(बिहार) में हुआ था। उनके पिता का नाम लाला ईश्वरदास था। बाबू देवकीनन्दन खत्री हिन्दी के प्रथम तिलस्मी लेखक थे। उनका लिखा ‘चन्द्रकांता’ उपन्यास बहुत लोकप्रिय हुआ। देवकीनन्दन खत्रीजी ने जब ‘चन्द्रकांता’ लिखना शुरू किया उस जमाने में अधिकतर हिन्दु लोग भी उर्दूदां ही थे। ‘चन्द्रकांता’ हिन्दी की एकमात्र ऐसी औपन्यासिक रचना है जिसने तत्कालीन जन-साधारण में उपन्यास पढ़ने की प्रवृति जागृत की तथा असंख्य निरक्षर एवं उर्दूदां लोगों को हिन्दी सीखने के लिये प्रेरित किया।’चन्द्रकांता’ की अभूतपूर्व सफलता से प्रेरित होकर देवकीनन्दन खत्रीजी ने चन्द्रकांता की कथा को आगे बढ़ाते हुए चैबीस भागों वाले विशाल उपन्यास ‘चन्द्रकांता संतति’ की रचना की जो ‘चन्द्रकांता’ से भी कहीं अधिक रोचक था। उनका यह उपन्यास भी अत्यन्त लोकप्रिय हुआ।इन उपन्यासों को पढ़ते हुए लोग खाना-पीना तक भूल जाते थे। इन उपन्यासों की भाषा बहुत सरल है। इन उपन्यासों के 2000 पृष्ठों से अधिक होने पर भी एक भी क्षण ऐसा नहीं आता जहाँ पाठक ऊब जाये।’चन्द्रकांता’ एक प्रेमकहानी है जिसमें तिलिस्म और ऐयारी के अनेक चमत्कार पाठक को चमत्कृत कर देते हैं। नौगढ़ के राजा सुरेन्द्रसिंह के पुत्र वीरेन्द्रसिंह तथा विजयगढ़ के राजा जयसिंह की पुत्री चन्द्रकांता के प्रणय और परिणय की कथा उपन्यास की प्रमुख कथा है।बाबू देवकीनंदन खत्री ने ‘तिलिस्म’, ‘ऐय्यार’ और ‘ऐय्यारी’ जैसे शब्दों को हिंदीभाषियों के बीच लोकप्रिय बनाया। ‘ऐय्यार’ शब्द अरबी भाषा का है। ‘ऐय्यार’ उसको कहते हैं जो हर फन जानता हो जैसे- शक्ल बदलना, दवाओ के बारे में जानना, अस्त्र चलाना, जासूसों का काम करना आदि। वस्तु-संगठन में उत्सुकता और कौतूहल की प्रधानता, पात्रों के सृजन में विविध क्षेत्रों से उनका चयन, बातचीत के संवाद, चुनारगढ़, विजयगढ़, नौगढ़ आदि की नदियों, तालाबों, बावड़ियों, खोहों, टीलों, खण्डहरों, पक्षियों, वृक्षों आदि का चित्रात्मक शैली में प्रकृति-चित्रण, युगीन परिस्थितियों का अप्रत्यक्ष रूप में अंकन, बोलचाल की सजीव भाषा, आदर्श चरित्रों की सर्जना द्वारा नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा आदि ‘चन्द्रकान्ता’ की कतिपय ऐसी विशेषतायें हैं; जो लेखक के जीवन अनुभव, कल्पना की विस्मयकारी उड़ान तथा कथा-निर्माण की अद्भुत क्षमता की परिचायक हैं। वस्तुतः तिलिस्म और ऐयारी के सूत्रों से गुंथी हुई प्रेम और रोमांस की यह औपन्यासिक कथा हिन्दी के घटना-प्रधान रोमांचक उपन्यासों की ऐसी शुभ शुरूआत थी, जिसने असंख्य पाठकों को हिन्दी भाषा का प्रेमी बना दिया और हिन्दी उपन्यास को दृढ़ आधारशिला प्रदान की।
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ASIN : B0CW1B3PV2
Publisher : Devkinandan Khatri (30 March 2024)
Language : Hindi
File size : 1426 KB
Text-to-Speech : Enabled
Screen Reader : Supported
Enhanced typesetting : Enabled
Word Wise : Not Enabled
Print length : 715 pages
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